COURSES
Vāyaṇā serves as a space for seekers, scholars, and practitioners to delve into the depths of Jain studies and rediscover its relevance in the modern world.

Our Courses

वीरत्थुई (वीरस्तुति)
भगवान महावीर की अनुपम स्तुति
‘भक्तामर स्तोत्र’ और ‘कल्याण मन्दिर स्तोत्र’ की भांति वीरस्तुति (वीरत्थुई) भी एक अद्वितीय स्तुति काव्य है, जो सूत्रकृतांग सूत्र के छठे अध्ययन में सम्मिलित है। इसे ‘पुच्छिसु णं’ नाम से भी जाना जाता है। इस अनुपम स्तुति में भगवान महावीर के ज्ञान, दर्शन, चारित्र्य, तप आदि अनन्त गुणों की महिमा को जगत् के सर्वश्रेष्ठ पदार्थों की उपमाओं से विभूषित किया गया है।आचार्य सुधर्मा द्वारा रचित इस स्तुति में ऐरावत हाथी, अरविन्द पुष्प, गंगानदी, शाल्मली वृक्ष, नन्दनवन, इक्षुरस, अभयदान, ब्रह्मचर्य, तप आदि श्रेष्ठतम उपमाओं का उल्लेख हुआ है। किंतु अंततः महावीर स्वामी के अनुपमेय स्वरूप को स्वीकार किया गया है, क्योंकि वे शब्दातीत एवं सर्वगुण सम्पन्न हैं।इस कोर्स में सुधर्मा स्वामी कृत २९ गाथाओं का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। अध्ययन के दौरान हम न केवल इस स्तुति के आध्यात्मिक और काव्यात्मक पक्षों को समझेंगे, बल्कि इसके दार्शनिक, भूगोलिक एवं खगोलीय संदर्भों पर भी चर्चा करेंगे। यह कोर्स श्रद्धालु एवं अध्येता वर्ग को भक्तिरस में सराबोर करने के साथ-साथ, महावीर स्वामी के गुणों से प्रेरणा प्राप्त कर, आत्मचिंतन एवं साधना के पथ पर अग्रसर होने की दिशा में मार्गदर्शन करेगा।

Virastuti
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur. Vitae sit nisl ut netus in donec at.

Virastuti
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur. Vitae sit nisl ut netus in donec at.
Vāyaṇā serves as a space for seekers, scholars, and practitioners to delve into the depths of Jain studies and rediscover its
relevance in the modern world.
Developed by Universal Software Ahmedabad

Copyright

2025 Vayana is Powered by Premeyamandir.